मां कामाख्या देवी - असम

 51 शक्तिपीठों में से एक कामाख्या शक्तिपीठ बहुत ही प्रसिद्ध और चमत्कारी है।


  कामाख्या रेलवे स्टेशन  


मेरे सभी पाठको को मेरा प्रणाम। मैं निलेश रिशु मेरे ब्लॉग सफरनामा में आपका स्वागत करता हु,इस ब्लॉग में मैं आपको भारत के पूर्वी भाग में असम राज्य के गुवाहाटी स्थित 51 शक्तिपीठ में से एक मां कामाख्या देवी की जानकारी दूंगा |

मां कामाख्या के दर्शन के लिए हम निकले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रेलवे स्टेशन से,हमारी यात्रा कुल 25 घण्टों में पूरी हुई,



जहा हम गोरखपुर से चल कर देवरिया होते हुए बिहार के छपरा, हाजीपुर,नौगछिया,कटिहार व किशनगंज होते हम पहुंचे पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी तथा यहां से होते हुए असम राज्य के गुवाहाटी स्थित कामाख्या रेलवे स्टेशन पर पहुंचे और वहां एक रात बिताने के बाद अगली सुबह हम शक्तिपीठ मंदिर मां कामाख्या देवी का दर्शन करने चल पड़े, वहां पहुंच देखा कि हजारों भक्तों की लाइन लगी पड़ी है जो तकरीबन 7 - 8 घंटे तक के इंतजार के बाद माता के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता परंतु ऐसा नहीं हुआ हम वहां स्पेशल टिकट लेकर एक अलग लाइन में लग गए, स्पेशल टिकट का दाम ₹500 था और हम सभी  या टिकट लेकर के 1 घंटे के इंतजार के बाद माता के दर्शन के लिए पुनः लाइन में लग गए हैं


स्पेशल एंट्री कूपन
मां कामाख्या देवी के आशीर्वाद से हमें 2 घंटे बाद माता रानी का दर्शन प्राप्त हुआ, हजारों के भीड़ में भी हमें तीन से चार घंटे लग गए हैं, वहां मंदिर प्रांगण में बलि देने की भी परंपरा होती है जहां बहुत से लोग इस परंपरा को निभाते हुए जानवरो की बलि देते हैं, दर्शन के पश्चात हम सब वहां से प्रसाद लेकर के आगे बढ़े और महादेव जी के दर्शन किए।
कामाख्या देवालय



कामाख्या मंदिर के पहाड़ियों से नीचे उतरते वक्त वहां से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उमानांदा मंदिर स्थित है, यह मंदिर ब्रम्हपुत्र नदी के बीचो-बीच एक टापू पर स्थित है हम वहां लोकल बोर्ड से नदी के बीच में जाकर भगवान का दर्शन किया।




महादेव के मंदिर जाते वक्त
यहां से पुनः अपने होटल आकर के हम रात्रि विश्राम किया और अगली सुबह हमें मेघालय राज्य की शिलांग शहर पहुंचना था, हमने एक गाड़ी कर रखी थी जो हमें मेघालय स्थित शिलांग शहर व बांग्लादेश बॉर्डर के निकट दावकी स्थित उम्मोंगोट नदी तथा चेहरा पूंजी घूमने वाले थे।
तो आगे की कहानी मैं अपने अगले आर्टिकल में लिखूंगा ।
आप सभी पाठकों का बहुत-बहुत धन्यवाद।







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