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मित्र अन्नू के संग हर की पौड़ी पर |
यह देवभूमि उत्तराखंड हैं :
प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का धरोहर जो उत्तराखंड में अपनी एक विशेष पहचान बनाए हुए हैं "हरिद्वार" - जिसे "गेटवे ऑफ़ गोड्स" भी कहा जाता है।
आप सभी को मेरा प्रणाम, हाल ही में मैं हरिद्वार की यात्रा किया जहा अपने यात्रा का वर्णन मैं इस लेख के माध्यम से कर रहा उम्मीद है आपको अच्छा लगेगा।
इसका एक विस्तृत इतिहास है। हरिद्वार भारत के उत्तर में शिवालिक श्रेणी के विल्ब व नील पर्वतों के बीच गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है । आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक दृष्टि से उत्तराखंड का महत्वपूर्ण जिला है हरिद्वार ।
हरिद्वार का इतिहास
हरिद्वार का इतिहास बरसों पुराना नहीं है बल्कि युगों-युगों पुराना है। यहां ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्षो तपस्या की है। और इस धाम को पवित्र स्थल के रूप में निर्माण किया है। यहां गंगोत्री हिमनद से निकलकर पवित्र नदी गंगा बहती है जिसका उद्गम स्थल गोमुख है । पौराणिक काल में हरिद्वार को अनेक नामों से जाना जाता था। जैसे- गंगा द्वार , स्वर्ग द्वार , हरद्वार, हरिद्वार और मायापुरी (माया)। विष्णुपुराण में हरिद्वार को 'मायापुरी' कहा गया है। उत्तराखंड में आज भी हरिद्वार के एक भाग को मायापुरी के नाम से जाना जाता है।
उत्तराखंड को हरिद्वार का ऐतिहासिक प्रसिद्ध कुंभ का मेला विश्व में विशेष पहचान दिलाता है। यहां प्रत्येक 12 वर्षों बाद लाखों सैलानी भक्त भगवान के प्रति अटूट श्रद्धा हेतु कुंभ मेला के दौरान गंगा नदी में स्नान करने आते हैं। कुंभ मेले का प्रारंभ हर्षवर्धन के शासनकाल से हुआ है हरिद्वार में कुंभ मेला मकर सक्रांति पर्व से लेकर गंगा दशहरा तक लगता है। चारों स्थानों में से केवल हरिद्वार व प्रयाग में ही अर्द्धकुंभ लगता है। वर्ष 2016 में हरिद्वार में अर्द्धकुंभ को लगा था। कहा जाता है कि समुंद्र मंथन के बाद धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए अमृत पाने के लिए देवताओं और दैत्यों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला। इसी बीच अमृत कलश से कुछ बूंदे छलक गई और वह पृथ्वी के 4 स्थानों पर पड़ी उनमें से एक स्थान हरिद्वार था
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जय मां गंगे |
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मां गंगा जी का मंदिर |
माना जाता है कि हर की पौड़ी में स्नान करने से जन्म जन्म के पाप धुल जाते हैं इसीलिए तो विदेशी भी पाप की मुक्ति के लिए यहां आते हैं। हरिद्वार की सबसे अनोखी चीज है शाम को होने वाली गंगा जी की महाआरती और गंगा नदी में बहते हुए सुनहरे दीपों का सौंदर्य बेहद आकर्षक और सुंदर लगता है। मानो जैसे पानी में तारे टिमटिमा रहे हो। हरिद्वार के अतिरिक्त नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में अमृत कलश से बूंदे गिरी।
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हर की पौड़ी पर स्नान करते |
महाभारत में हरिद्वार को "गंगाद्वार" कहा गया है। और जहां पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान हरिद्वार के वन क्षेत्र में आश्रय लिया उसे प्राचीन इतिहासकारों ने "खांडव वन" कहा है। इसी वन में धृतराष्ट्र, गांधारी तथा विदुर ने अपना शरीर त्यागा था और पहली बार विदुर ने मैत्रय ऋषि को महाभारत कथा की कथा सुनाई थी।
मनसा देवी का मंदिर
हरिद्वार घूमने के बाद मैं मनसा देवी मंदिर गया यहा की यात्रा बेहद आकर्षक लगी। मंदिर तक पहुंचने के लिए उड़न खटोला प्रयोग किया जाता है। जहां से हरिद्वार का सुंदर दृश्य अद्भुत नजर आता है। हर की पौड़ी के पीछे शिवालिक श्रेणी के विल्ब पर्वत की चोटी पर मनसा देवी मंदिर स्थित है।
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मनसा देवी मंदिर का दृश्य |
कैसे पहुंचे हरिद्वारयदि आप दिल्ली से आ रहे तो आप सीधे हरिद्वार की बस कर सकते है ।लखनऊ से आने की लिए आप सहारनपुर वाया हरिद्वार पहुंच सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए मुझसे संपर्क करे।
E-mail: nileshrishu929@gmail.com
Con: 8957422294
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